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विद्युत बल्ब

 विद्युत बल्ब विद्युत धारा के उसमें प्रभाव पर आधारित एक उपकरण है जब विद्युत बल्ब के तंतु में धारा प्रवाहित की जाती है तो तंतु का प्रतिरोध अत्यधिक होने के कारण इस का तापमान 1500 डिग्री सेल्सियस से 2500 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है इस कारण यह चमकने लगता है
 संरचना एवं कार्य विधि= विद्युत बल्ब का आज का एक खोखला गोला होता है जिसके अंदर से बाहर निकाल कर निर्वात रखते हैं बल्ब के ऊपरी भाग पर एक अल्मुनियम की टोपी लगी होती है जिसके दोनों और दो पिन लगी होती है तो पीके मुंह को चढ़ाया लाख से बंद कर दिया जाता है कपड़े के ऊपर जस्ते के दो टैंक लगे होते हैं जिनका संबंध दो मोटे तारों से होता है यह तार एक कांच की नली से होकर बल्ब के अंदर इस प्रकार लाए जाते हैं कि यह एक दूसरे को स्पर्श ना करें
इनके आंतरिक शेरों के बीच टंगस्टन का एक बार इक्ता जुड़ा होता है जिसे तंत्र कहते हैं टंगस्टन का गलनांक होता है जब तंत्र में विभव धारा प्रवाहित की जाती है तो यह श्वेत तप्त होकर श्वेत प्रकाश देने लगता है

Comments

  1. दोनों सुचालक तारों को किस नाम से जाना जाता है

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  2. और महत्वपूणर् क्वेश्र्चन बताओ

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  3. बल्ब के आविष्कार होने से पहले एक समय ऐसा भी था जब लोग रौशनी के लिए दिए, मोहम्बत्ति का इस्तमाल किया करते थे. लेकिन इस प्रकार के चीज़ों का अगर सही तरीके से इस्तमाल नहीं किया गया था बहुत सी दुर्घटनाएं भी हो जाती थी. वहीँ इसके अलावा इनका रख रखाव भी उतना आसान नहीं था.

    लेकिन जब थॉमस ऐल्वा एडीसन ने बल्ब का आविष्कार किसने किया और कब (Bulb ka avishkar kisne kiya) कर दिया तब मानो पुरे विश्व का चित्र ही बदल गया. अब लोगों को अँधेरे से और डरने की कोई जरुरत नहीं पड़ती थी. साथ में हम केवल घर नहीं घर के बाहर भी बल्ब का इस्तमाल होने लगा. तो आज के इस आर्टिकल में हम ये जानेंगे की आखिर बल्ब का आविष्कार किसने किया था और कब किया था. वहीँ उसके अलावा भी कुछ जरुरी जानकारी के विषय में जानेंगे.

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