कार्य की परिभाषा= सामान्य भाषा में कार्य का अर्थ है किसी क्रिया के संपादन से होता है जब कोई व्यक्ति खेत में हल चलाता है चक्की से आटा पिस्ता है लकड़ी चीरता है या ढेकली से खेत में पानी देता है उस तक पड़ता है या उसका मन करता है तो सामान्य भाषा में यह कहा जाता है कि व्यक्ति कार्य कर रहा है परंतु भौतिक में कार्य का विशेष अर्थ है जो निम्न वत है बल लगाकर किसी वस्तु को बल की दिशा में विस्थापित करने की क्रिया को कार्य करते हैं अर्थात कार्य होने के लिए बल तथा बल की दिशा में विस्थापन दोनों आवश्यक है यदि बल लगाने से वस्तु में विस्थापन ना हो या विस्थापन तो हो परंतु बल की दिशा में ना हो तो भौतिकी में यही कहा जाएगा कि कार्य नहीं हो रहा है पृथ्वी पर स्थित रखी सभी वस्तुओं पर गुरुत्व बल तो लगता है परंतु विस्थापन ना होने से कोई कार्य नहीं हो रहा है कुत्ता कार मार्ग पर घूमते हुए किसी पिंड का विस्थापन तो हो रहा है परंतु घूमने के लिए लग रहे अभिकेंद्र बल की दिशा केंद्र की ओर है जो भी स्थापित है अतः बल की दिशा में स्थापन का मानसून होने के कारण यही कहा जाएगा कि बल द्वारा कोई कार्य नहीं किया जा रहा है इसी प्रकार जब कोई वस्तु समान चाल से एक ही दिशा में गति करती है तो न्यूटन के गति के प्रथम नियम के अनुसार बल का मान शून्य होने के कारण यही कहा जाएगा कि कार्य नहीं हो रहा है हम जानते हैं कि बल लगाने से सदा दो वस्तुओं भाग लेती हैं एक वह जिस पर लगा रहा है और दूसरी वह जो बल लगा रही है जब हम हाथ से बल लगाकर किसी पत्थर को ऊपर उठाते हैं तो पत्थर हाथ पर नीचे की ओर बल लगता है जो वस्तु पर लगाती है उसके द्वारा कार्य किया जाता है और जिस वस्तु पर बल लगाया जाता है उस पर कार्य होता है अतः ऊपर के उदाहरण में पत्थर पर हाथ द्वारा किया जा रहा है
संयोजकता----किसी तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास करने पर वह कम कोर्स में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की संख्या को संयोजी इलेक्ट्रॉन कहते हैं और कोच को संयोजी कोश कहते हैं तथा इलेक्ट्रॉन की वह संख्या जो संयोग करती है उसे संयोजकता कहते हैं| जैसे---H(1)= 1-- संयोजी कोश --Cl(17)=2,8,7--- संयोजी इलेक्ट्रॉन संयोजकता=1 O(8)=2,6 संयोजकता=2 this is some balance. attention Table If you want to know something please ask me I always reply your Question.
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