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द्रव्य और उसकी अवस्थाएं(Matter and it's states)

1 द्रव्य = वह वस्तुएं जो स्थान देती हैं तथा द्रव्यमान रखती हैं द्रव्य कहलाती हैं इसकी तीन अवस्थाएं होती है ठोस द्रव तथा गैस में पाया जाता है
2ऊर्जा= प्रकाश उष्मा ध्वनि विद्युत आदिपुर जाओं के विभिन्न स्वरुप है ऊर्जा अविनाशी है आधुनिक विचारों के अनुसार ऊर्जा को द्रव्यमान में तथा द्रव्यमान को ऊर्जा में रूपांतरित किया जा सकता है
3 आइंस्टीन का ऊर्जा  तुल्य ता का  नियम= इस नियम के अनुसार हम ग्राम द्रव्यमान के लुप्त होने पर एमसी स्क्वायर ऊर्जा उत्पन्न होती है अर्थात
E=mc²
4 तत्व= तत्व प्रकृति का मूल पदार्थ है जिसमें एक ही प्रकार का सरलतम पदार्थ होता है अर्थात वह समान परमाणुओं से बने होते हैं जैसे तांबा चांदी ऑक्सीजन आदि अब तक 108 तत्वों की खोज हो चुकी है भूपर्पटी तत्वों का मुख्य उद्गम है धातुओं में अक्सीजन तथा धातुओं में एलमुनियम सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है तत्व को उनके गुणों के आधार पर निम्न तीन वर्गों में विभाजित किया गया है
1 धातु= तांबा लोहा चांदी सोना पारा जस्ता आज तत्व धातु है क्योंकि इनमें  धात्विक चमक उच्च  ऊष्मा चालकता उच्च विद्युत चालकता तथा   सामर्थ्य आदि के गुण होते हैं
2 अधातु= जिन तत्वों में धातुओं के गुण नहीं होते वे आधार पर आते हैं जैसे सर्फर फास्फोरस कार्बन आयोडीन हाइड्रोजन ऑक्सीजन क्लोरीन ब्रोमीन आदि तत्व धातु है धातुओं के ऑक्साइड अम्लीय उदासीन होते हैं
3 उपधातु= कुछ तत्व जो धातु और अधातु के बीच के गुण रखते हैं उधास को रहते हैं जैसे जर्मी नियम और सैनिक एंटी मनी आदि
5 योगिक= दो या दो से अधिक तत्व को निश्चित अनुपात में लाने पर रासायनिक संयोग से प्राप्त पदार्थ को योगी करते हैं जैसे जल ,नमक, नीला थोथा ,सोडियम कार्बोनेट ,अमोनिया आदि योग्य पदार्थ है
6 मिश्रण= दो या दो से अधिक प्रकार के पदार्थों को किसी भी अनुपात में मिलाने पर प्राप्त पदार्थ को मिश्रण कहते हैं मिश्रण के अवयव को साधारण भौतिक विधियों द्वारा प्रथक किया जा सकता है मिश्रण दो प्रकार का होता है
1 विषमांगी मिश्रण= बारूद धुआं  दूध रक्त तेल और जल का मिश्रण गंधक रेत और लोहे का मिश्रण आदमी समांग मिश्रा है क्योंकि इनके प्रत्येक भाग के गुण समान नहीं होते
2 समांग मिश्रण= अम्ल क्षार और लवण ओके जली मिश्रण चीनी और जल का मिश्रण वायु एथिल अल्कोहल और जल का मिश्रण आदि समांग मिश्रण है क्योंकि इनमें प्रत्येक भाग के गुण समान होते हैं समांगी मिश्रण के अवयव को निखार अन्ना उत्पादन क्वेश्चन आसन आदि विधियों से अलग किया जा सकता है

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प्रकाश के गुण

1. प्रकाश स्वयं अदृश्य होता है परंतु इसकी उपस्थिति में वस्तु दिखाई देती है 2. साधारण त्या प्रकाश सरल रेखा में गमन करता है 3. प्रकाश के संचरण हेतु किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है प्रकाश निर्वात में भी गमन कर सकता है 4. प्रकाश विद्युत चुंबकीय तरंगों के रूप में चलता है 5. प्रकाश पारदर्शी माध्यम में से गुजर सकता है परंतु अपारदर्शी माध्यम में से नहीं गुजर सकता 6. विभिन्न माध्यमों में प्रकाश की चाल भिन्न-भिन्न होती है निर्वात में प्रकाश की चाल 3 * 10 की घात 8 मीटर पर सेकंड होती है 7. चमकदार पृष्ठों से प्रकाश परावर्तित हो जाता है 8. जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है तो प्रकाश अपने पथ से विचलित हो जाता है

valency( संयोजकता)

  संयोजकता----किसी तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास करने पर वह कम कोर्स में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की संख्या को संयोजी इलेक्ट्रॉन कहते हैं और कोच को संयोजी कोश कहते हैं तथा इलेक्ट्रॉन की वह संख्या जो संयोग करती है उसे संयोजकता कहते हैं| जैसे---H(1)= 1-- संयोजी कोश --Cl(17)=2,8,7--- संयोजी इलेक्ट्रॉन                   संयोजकता=1        O(8)=2,6             संयोजकता=2  this is some balance.   attention   Table   If you want to know something please ask me I always reply your Question.

विद्युत बल्ब

 विद्युत बल्ब विद्युत धारा के उसमें प्रभाव पर आधारित एक उपकरण है जब विद्युत बल्ब के तंतु में धारा प्रवाहित की जाती है तो तंतु का प्रतिरोध अत्यधिक होने के कारण इस का तापमान 1500 डिग्री सेल्सियस से 2500 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है इस कारण यह चमकने लगता है  संरचना एवं कार्य विधि= विद्युत बल्ब का आज का एक खोखला गोला होता है जिसके अंदर से बाहर निकाल कर निर्वात रखते हैं बल्ब के ऊपरी भाग पर एक अल्मुनियम की टोपी लगी होती है जिसके दोनों और दो पिन लगी होती है तो पीके मुंह को चढ़ाया लाख से बंद कर दिया जाता है कपड़े के ऊपर जस्ते के दो टैंक लगे होते हैं जिनका संबंध दो मोटे तारों से होता है यह तार एक कांच की नली से होकर बल्ब के अंदर इस प्रकार लाए जाते हैं कि यह एक दूसरे को स्पर्श ना करें इनके आंतरिक शेरों के बीच टंगस्टन का एक बार इक्ता जुड़ा होता है जिसे तंत्र कहते हैं टंगस्टन का गलनांक होता है जब तंत्र में विभव धारा प्रवाहित की जाती है तो यह श्वेत तप्त होकर श्वेत प्रकाश देने लगता है