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कंप्यूटर

प्रस्तावना- कंप्यूटर असीमित क्षमताओं वाला वर्तमान युग का एक क्रांतिकारी साधन है  यह एक ऐसा यंत्र पुरुष है जिसमें यांत्रिक मस्तिष्क ओं का रूप आत्मक और समन्वय आत्मक योग तथा गुणात्मक घनत्व पाया जाता है इसके परिणाम स्वरूप यह कम से कम समय में तेज गति से त्रुटि इन गणनायक कर लेता है आरंभ में गणित के जटिल घटनाएं करने के लिए ही कंप्यूटर का आविष्कार किया गया था आधुनिक कंप्यूटर के प्रथम सिद्धांत कार चार्ल्स बैबेज का जीवन काल 1792 से 871 गणित और खगोल की सूची तैयार करने के लिए कंप्यूटर की योजना तैयार कीथी उन्नीसवीं सदी के अंतिम दशक में अमेरिकी इंजीनियर हरमन होले जितने जनगणना से संबंधित आंकड़ों का विश्लेषण करके करने के लिए पंच कारणों पर आधारित कंप्यूटर का प्रयोग किया था दूसरे महायुद्ध के दौरान पहली बार बिजली से चलने वाले कंप्यूटर बने इसका उपयोग भी घटनाओं के लिए ही हुआ आज के कंप्यूटर केवल घटनाओं करने तक ही सीमित नहीं रह गए हैं
कंप्यूटर के उपयोग- आज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कंप्यूटर के व्यापक उपयोग हो रहे हैं
1. प्रकाशन के क्षेत्र में- सन 1971 ईस्वी में माइक्रोप्रोसेसर का आविष्कार हुआ इस आविष्कार ने कंप्यूटर को छोटा सस्ता और कई गुना शक्तिशाली बना दिया माइक्रोप्रोसेसर के अविष्कार के बाद कंप्यूटर का अनेक कार्य में उपयोग संभव हुआ शब्द संसाधन कंप्यूटर के साथ स्क्रीन वह प्रिंटर जुड़े जाने से इनकी उपयोगिता का को विस्तार हुआ है सर्वप्रथम एक संपादित हो कंप्यूटर में संचित होता है कंप्यूटर की स्क्रीन पर देखा जा सकता है और  उसमें संशोधन भी किया जा सकता है इसके बाद मशीनों से छपाई होती है अब तो अति विकसित देशों में बड़े समाचार पत्रों में

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valency( संयोजकता)

  संयोजकता----किसी तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास करने पर वह कम कोर्स में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की संख्या को संयोजी इलेक्ट्रॉन कहते हैं और कोच को संयोजी कोश कहते हैं तथा इलेक्ट्रॉन की वह संख्या जो संयोग करती है उसे संयोजकता कहते हैं| जैसे---H(1)= 1-- संयोजी कोश --Cl(17)=2,8,7--- संयोजी इलेक्ट्रॉन                   संयोजकता=1        O(8)=2,6             संयोजकता=2  this is some balance.   attention   Table   If you want to know something please ask me I always reply your Question.

विद्युत बल्ब

 विद्युत बल्ब विद्युत धारा के उसमें प्रभाव पर आधारित एक उपकरण है जब विद्युत बल्ब के तंतु में धारा प्रवाहित की जाती है तो तंतु का प्रतिरोध अत्यधिक होने के कारण इस का तापमान 1500 डिग्री सेल्सियस से 2500 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है इस कारण यह चमकने लगता है  संरचना एवं कार्य विधि= विद्युत बल्ब का आज का एक खोखला गोला होता है जिसके अंदर से बाहर निकाल कर निर्वात रखते हैं बल्ब के ऊपरी भाग पर एक अल्मुनियम की टोपी लगी होती है जिसके दोनों और दो पिन लगी होती है तो पीके मुंह को चढ़ाया लाख से बंद कर दिया जाता है कपड़े के ऊपर जस्ते के दो टैंक लगे होते हैं जिनका संबंध दो मोटे तारों से होता है यह तार एक कांच की नली से होकर बल्ब के अंदर इस प्रकार लाए जाते हैं कि यह एक दूसरे को स्पर्श ना करें इनके आंतरिक शेरों के बीच टंगस्टन का एक बार इक्ता जुड़ा होता है जिसे तंत्र कहते हैं टंगस्टन का गलनांक होता है जब तंत्र में विभव धारा प्रवाहित की जाती है तो यह श्वेत तप्त होकर श्वेत प्रकाश देने लगता है

निकाय और परिवेश

 निकाय और परिवेश की परिभाषा= उस्मा गतिकी में दो मुख्य भाग होते हैं जिसे निकाय और प्रवेश करते हैं किसी विशेष वस्तु को निकाल करते हैं और उसके चारों ओर उपस्थित सभी प्रकार की अवस्थाओं को प्रवेश करते हैं ब्रह्मांड= निकाय + परिवेश निकाय के प्रकार= 1 खुला निकाय= एक ऐसा निकला है जिसमें उर्जा या द्रव  निकाय या परिवेश के रूप में होती है और परस्पर बदलते रहते हैं उसे खुला निकाय करते हैं 2 बंद निकाय= एक ऐसा  निकाय जिसमें निकाय और परिवेश परस्पर नहीं बदलते हैं ऐसे निकाय को बंद निकाय कहते हैं 3 विलगित निकाय= एक ऐसा निकाय जिसमें निकाय और परिवेश दोनों के मध्य विनिमय होता है ऐसे निकाय को विलगित निकाय करते हैं 4 आंतरिक ऊर्जा= यदि कोई निकाय कोई कार्य करती है तो कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है वास्तु कि वह ऊर्जा जो वस्तु में गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित रहती है उसे आंतरिक ऊर्जा कहते हैं ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम= ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार उड़ जाना तो उत्पन्न की जा सकती है ना ही नष्ट की जा सकती है इसे सिर्फ एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा स...