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प्रक्षेप्य गति

 जब किसी पिंड को पृथ्वी तल या उसके समीप किसी बिंदु से ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर फेंका जाता है तो वह पिंड गति करते हुए वापस पृथ्वी पर आती है पिंड के इस गति को प्रक्षेप गति कहते हैं और उसके मार्ग को प्रक्षेप पथ कहते हैं
जैसे= गेंद ,फुटबॉल ,तोप का गोला ,बंदूक की गोली. आदि प्रक्षेप्य गति करती है
समतल गति= यदि कोई पिंड किसी मार्ग पर एक समान वेग से लगातार चलता है और उसके त्वरण में कोई परिवर्तन नहीं होता तो पिंड के इस गति को समतल गति कहते हैं
प्रक्षेप्य का पथ= यदि किसी  प्रक्षेप्य को ऊर्ध्वाधर ऊपर की और प्रारंभिक वेग uसे α कोण पर फेंका जाता है तो उसकी अधिकतम ऊंचाईy और   दूरी xमाना गया है
प्रक्षेप का उड्डयन काल= जब किसी पिंड को ऊपर की ओर फेंका जाता है तो वह कुछ समय बाद वापस आ जाती है क्योंकि पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को आकर्षित करती है अतः प्रक्षेप का वह समय जो उड़ने में लगता है उसे अपने प्रक्षेप्य का उड्डयन काल कहते हैं
प्रक्षेप्य का परास= जब कोई प्रक्षेप पर पृथ्वी तल से ऊपर फेंका जाता है तो उसके द्वारा दूरी प्रक्षेप का  आता है

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valency( संयोजकता)

  संयोजकता----किसी तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास करने पर वह कम कोर्स में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की संख्या को संयोजी इलेक्ट्रॉन कहते हैं और कोच को संयोजी कोश कहते हैं तथा इलेक्ट्रॉन की वह संख्या जो संयोग करती है उसे संयोजकता कहते हैं| जैसे---H(1)= 1-- संयोजी कोश --Cl(17)=2,8,7--- संयोजी इलेक्ट्रॉन                   संयोजकता=1        O(8)=2,6             संयोजकता=2  this is some balance.   attention   Table   If you want to know something please ask me I always reply your Question.

प्रकाश के गुण

1. प्रकाश स्वयं अदृश्य होता है परंतु इसकी उपस्थिति में वस्तु दिखाई देती है 2. साधारण त्या प्रकाश सरल रेखा में गमन करता है 3. प्रकाश के संचरण हेतु किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है प्रकाश निर्वात में भी गमन कर सकता है 4. प्रकाश विद्युत चुंबकीय तरंगों के रूप में चलता है 5. प्रकाश पारदर्शी माध्यम में से गुजर सकता है परंतु अपारदर्शी माध्यम में से नहीं गुजर सकता 6. विभिन्न माध्यमों में प्रकाश की चाल भिन्न-भिन्न होती है निर्वात में प्रकाश की चाल 3 * 10 की घात 8 मीटर पर सेकंड होती है 7. चमकदार पृष्ठों से प्रकाश परावर्तित हो जाता है 8. जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है तो प्रकाश अपने पथ से विचलित हो जाता है

विद्युत बल्ब

 विद्युत बल्ब विद्युत धारा के उसमें प्रभाव पर आधारित एक उपकरण है जब विद्युत बल्ब के तंतु में धारा प्रवाहित की जाती है तो तंतु का प्रतिरोध अत्यधिक होने के कारण इस का तापमान 1500 डिग्री सेल्सियस से 2500 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है इस कारण यह चमकने लगता है  संरचना एवं कार्य विधि= विद्युत बल्ब का आज का एक खोखला गोला होता है जिसके अंदर से बाहर निकाल कर निर्वात रखते हैं बल्ब के ऊपरी भाग पर एक अल्मुनियम की टोपी लगी होती है जिसके दोनों और दो पिन लगी होती है तो पीके मुंह को चढ़ाया लाख से बंद कर दिया जाता है कपड़े के ऊपर जस्ते के दो टैंक लगे होते हैं जिनका संबंध दो मोटे तारों से होता है यह तार एक कांच की नली से होकर बल्ब के अंदर इस प्रकार लाए जाते हैं कि यह एक दूसरे को स्पर्श ना करें इनके आंतरिक शेरों के बीच टंगस्टन का एक बार इक्ता जुड़ा होता है जिसे तंत्र कहते हैं टंगस्टन का गलनांक होता है जब तंत्र में विभव धारा प्रवाहित की जाती है तो यह श्वेत तप्त होकर श्वेत प्रकाश देने लगता है