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ऊर्जा के स्रोत

1 ईंधन = विभिन्न प्रकार के निर्धनों जैसे कोयला मिट्टी का तेल गैस पेट्रोल आदि में रासायनिक ऊर्जा होती है इन्हें जलाकर उसमें प्राप्त की जाती है जिसका सीधे अथवा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तन करके उपयोग किया जाता है वर्तमान समय में यह अत्यधिक प्रयुक्त होने वाले ऊर्जा का स्रोत है विभिन्न युक्तियों का प्रयोग करके ऐसे इंजन तैयार किए गए हैं जिनमें इन दोनों की रासायनिक ऊर्जा यांत्रिक ऊर्जा में बदल जाती है इसी से मोटर कार वायु यान आदि के इंजन चलाए जाते हैं
2 जाल से ऊर्जा= भाखड़ा नांगल व अन्य बांधो में पहले जल को ऊंचाई पर इकट्ठा किया जाता है इस जल में गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा होती है जब जल टरबाइन के पंखे की पंखुड़ियां पर गिरता है तो टरबाइन का पहिया घूमने लगता है इस क्रिया में जल की स्थितिज ऊर्जा पहिए की गतिज ऊर्जा में बदल जाती है इस पहिए द्वारा डायनेमो का आर्मेचर को घुमाते हैं जिसमें विद्युत ऊर्जा प्राप्त होती है आजकल विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने का यह सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है
3 वायु से ऊर्जा= गतिमान वायु अर्थात पवन की गतिज ऊर्जा से आने की आर्थिक कार्य किए जाते हैं जैसे अनाज से भूसा अलग करना समुद्र में पाल द्वारा नाव चलाना पवन चक्की द्वारा विद्युत उत्पादन आदि
4 नाभिकीय ऊर्जा= सन 1993 ईस्वी में दो जर्मन वैज्ञानिक होम तथा स्ट्रास मैंने यूरेनियम पर तीव्र गामी न्यूटन की बमबारी की इस बमबारी से यूरेनियम गाना भेज दो लगभग बराबर नाभिक में टूट जाता है तथा कुछ द्रव्यमान की हो जाती है या द्रव्यमान क्षति आइंस्टीन का द्रव्यमान ऊर्जा सिद्धांत के अनुसार ऊर्जा परिवर्तित हो जाती है तथा अत्यधिक ऊर्जा मुक्त हो जाती है उपयुक्त क्रियाओं में जो ऊर्जा मुक्त होती है उसे नाभिकीय उर्जा करते हैं तथा यह किया नाभिकीय विखंडन काल आती है इस ऊर्जा को उत्पन्न करने के लिए नाभिकीय रिएक्टर बनाए गए हैं मुंबई के निकट राम में भाग अनुसाधन केंद्र में कई रिएक्टर अप्सरा साधना कार्य कर रही है इनमें से सन 1956 अगस्त में तथा 1961 से कार्य कर रहे हैं उत्पादन किया जाता है

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valency( संयोजकता)

  संयोजकता----किसी तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास करने पर वह कम कोर्स में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की संख्या को संयोजी इलेक्ट्रॉन कहते हैं और कोच को संयोजी कोश कहते हैं तथा इलेक्ट्रॉन की वह संख्या जो संयोग करती है उसे संयोजकता कहते हैं| जैसे---H(1)= 1-- संयोजी कोश --Cl(17)=2,8,7--- संयोजी इलेक्ट्रॉन                   संयोजकता=1        O(8)=2,6             संयोजकता=2  this is some balance.   attention   Table   If you want to know something please ask me I always reply your Question.

प्रकाश के गुण

1. प्रकाश स्वयं अदृश्य होता है परंतु इसकी उपस्थिति में वस्तु दिखाई देती है 2. साधारण त्या प्रकाश सरल रेखा में गमन करता है 3. प्रकाश के संचरण हेतु किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है प्रकाश निर्वात में भी गमन कर सकता है 4. प्रकाश विद्युत चुंबकीय तरंगों के रूप में चलता है 5. प्रकाश पारदर्शी माध्यम में से गुजर सकता है परंतु अपारदर्शी माध्यम में से नहीं गुजर सकता 6. विभिन्न माध्यमों में प्रकाश की चाल भिन्न-भिन्न होती है निर्वात में प्रकाश की चाल 3 * 10 की घात 8 मीटर पर सेकंड होती है 7. चमकदार पृष्ठों से प्रकाश परावर्तित हो जाता है 8. जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है तो प्रकाश अपने पथ से विचलित हो जाता है

विद्युत बल्ब

 विद्युत बल्ब विद्युत धारा के उसमें प्रभाव पर आधारित एक उपकरण है जब विद्युत बल्ब के तंतु में धारा प्रवाहित की जाती है तो तंतु का प्रतिरोध अत्यधिक होने के कारण इस का तापमान 1500 डिग्री सेल्सियस से 2500 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है इस कारण यह चमकने लगता है  संरचना एवं कार्य विधि= विद्युत बल्ब का आज का एक खोखला गोला होता है जिसके अंदर से बाहर निकाल कर निर्वात रखते हैं बल्ब के ऊपरी भाग पर एक अल्मुनियम की टोपी लगी होती है जिसके दोनों और दो पिन लगी होती है तो पीके मुंह को चढ़ाया लाख से बंद कर दिया जाता है कपड़े के ऊपर जस्ते के दो टैंक लगे होते हैं जिनका संबंध दो मोटे तारों से होता है यह तार एक कांच की नली से होकर बल्ब के अंदर इस प्रकार लाए जाते हैं कि यह एक दूसरे को स्पर्श ना करें इनके आंतरिक शेरों के बीच टंगस्टन का एक बार इक्ता जुड़ा होता है जिसे तंत्र कहते हैं टंगस्टन का गलनांक होता है जब तंत्र में विभव धारा प्रवाहित की जाती है तो यह श्वेत तप्त होकर श्वेत प्रकाश देने लगता है