Skip to main content

आसवन, उर्ध्वपातन, भौतिक परिवर्तन, रासायनिक परिवर्तन

1 आसवन= किसी द्रव को गर्म करके वाष्प में बदलना था उसकी वास्तु को ठंडा करके पुनः द्रव में बदलने की क्रिया को आसन करते हैं आसुत जल इस विधि से प्राप्त किया जाता है
2 उर्ध्वपातन= कुछ ठोस पदार्थ जैसे अमोनिया क्लोराइड आयोडीन कपूर आदि गर्म होकर बिना द्रव अवस्था में बदले सीधे वाष्प अवस्था में बदल जाते हैं तथा ठंडा होने पर बिना द्रव में बदले सीधे ठोस अवस्था को प्राप्त हो जाते हैं ऐसे द्रव को   उर्ध्वपातन पदार्थ कहते हैं तथा  इस क्रिया को  उर्ध्वपातन किया करते हैं
3 भौतिक परिवर्तन= वे परिवर्तन जिनमें पदार्थों के स्वरूप व गुण धर्मों में अस्थाई परिवर्तन आता है जबकि उनके भार तथा रासायनिक संगठन अपरिवर्तित रहते हैं अर्थात कोई नया पदार्थ नहीं बनता भौतिक परिवर्तन कर लाते हैं जैसे विद्युत बल्ब का जलना,  बर्फ का पिघलना, बादलों का बनना ,जल का आसन ,आयोडीन का उत्पादन, गैस का आयतन बन्ना ,नमक अथवा चीनी का पानी में घुल ना आदि
4 रासायनिक परिवर्तन= वे परिवर्तन जिनमें पदार्थों के संगठन अवस्था व गुणधर्म स्थाई रूप में बदल जाते हैं और नए पदार्थ बन जाते हैं रासायनिक परिवर्तन कर आते हैं बत्ती का जलना मैग्नीशियम के तार का जलना जंग लगना दूध का दही बनना दूध का खट्टा होना सिरके का बनना सीधे या स्टार्ट से एथिल अल्कोहल का बनना दही से दुर्गंध आना कोयले का जलना अम्लीय जल का विद्युत अपघटन आज रासायनिक परिवर्तन हैIERT

Comments

Popular posts from this blog

प्रकाश के गुण

1. प्रकाश स्वयं अदृश्य होता है परंतु इसकी उपस्थिति में वस्तु दिखाई देती है 2. साधारण त्या प्रकाश सरल रेखा में गमन करता है 3. प्रकाश के संचरण हेतु किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है प्रकाश निर्वात में भी गमन कर सकता है 4. प्रकाश विद्युत चुंबकीय तरंगों के रूप में चलता है 5. प्रकाश पारदर्शी माध्यम में से गुजर सकता है परंतु अपारदर्शी माध्यम में से नहीं गुजर सकता 6. विभिन्न माध्यमों में प्रकाश की चाल भिन्न-भिन्न होती है निर्वात में प्रकाश की चाल 3 * 10 की घात 8 मीटर पर सेकंड होती है 7. चमकदार पृष्ठों से प्रकाश परावर्तित हो जाता है 8. जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है तो प्रकाश अपने पथ से विचलित हो जाता है

valency( संयोजकता)

  संयोजकता----किसी तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास करने पर वह कम कोर्स में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की संख्या को संयोजी इलेक्ट्रॉन कहते हैं और कोच को संयोजी कोश कहते हैं तथा इलेक्ट्रॉन की वह संख्या जो संयोग करती है उसे संयोजकता कहते हैं| जैसे---H(1)= 1-- संयोजी कोश --Cl(17)=2,8,7--- संयोजी इलेक्ट्रॉन                   संयोजकता=1        O(8)=2,6             संयोजकता=2  this is some balance.   attention   Table   If you want to know something please ask me I always reply your Question.

विद्युत बल्ब

 विद्युत बल्ब विद्युत धारा के उसमें प्रभाव पर आधारित एक उपकरण है जब विद्युत बल्ब के तंतु में धारा प्रवाहित की जाती है तो तंतु का प्रतिरोध अत्यधिक होने के कारण इस का तापमान 1500 डिग्री सेल्सियस से 2500 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है इस कारण यह चमकने लगता है  संरचना एवं कार्य विधि= विद्युत बल्ब का आज का एक खोखला गोला होता है जिसके अंदर से बाहर निकाल कर निर्वात रखते हैं बल्ब के ऊपरी भाग पर एक अल्मुनियम की टोपी लगी होती है जिसके दोनों और दो पिन लगी होती है तो पीके मुंह को चढ़ाया लाख से बंद कर दिया जाता है कपड़े के ऊपर जस्ते के दो टैंक लगे होते हैं जिनका संबंध दो मोटे तारों से होता है यह तार एक कांच की नली से होकर बल्ब के अंदर इस प्रकार लाए जाते हैं कि यह एक दूसरे को स्पर्श ना करें इनके आंतरिक शेरों के बीच टंगस्टन का एक बार इक्ता जुड़ा होता है जिसे तंत्र कहते हैं टंगस्टन का गलनांक होता है जब तंत्र में विभव धारा प्रवाहित की जाती है तो यह श्वेत तप्त होकर श्वेत प्रकाश देने लगता है