निकाय और परिवेश की परिभाषा= उस्मा गतिकी में दो मुख्य भाग होते हैं जिसे निकाय और प्रवेश करते हैं किसी विशेष वस्तु को निकाल करते हैं और उसके चारों ओर उपस्थित सभी प्रकार की अवस्थाओं को प्रवेश करते हैं
ब्रह्मांड= निकाय + परिवेश
निकाय के प्रकार=
1 खुला निकाय= एक ऐसा निकला है जिसमें उर्जा या द्रव निकाय या परिवेश के रूप में होती है और परस्पर बदलते रहते हैं उसे खुला निकाय करते हैं
2 बंद निकाय= एक ऐसा निकाय जिसमें निकाय और परिवेश परस्पर नहीं बदलते हैं ऐसे निकाय को बंद निकाय कहते हैं
3 विलगित निकाय= एक ऐसा निकाय जिसमें निकाय और परिवेश दोनों के मध्य विनिमय होता है ऐसे निकाय को विलगित निकाय करते हैं
4 आंतरिक ऊर्जा= यदि कोई निकाय कोई कार्य करती है तो कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है वास्तु कि वह ऊर्जा जो वस्तु में गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित रहती है उसे आंतरिक ऊर्जा कहते हैं
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम= ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार उड़ जाना तो उत्पन्न की जा सकती है ना ही नष्ट की जा सकती है इसे सिर्फ एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है
उस्मा धारिता= यदि कोई सुचालक पदार्थ उसमें क्षेत्र में रखी जाती है तो वह पदार्थ उस्मा ग्रहण करता है वस्तु द्वारा लिए गए कुसमा की मात्रा और उस में लगा समय का अनुपात उस्मा धारिता कहलाता है इसे सी से प्रदर्शित करते हैं
विशिष्ट ऊष्मा= यदि किसी पदार्थ का निश्चित द्रव्यमान m ताप एक निश्चित मान तक बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा विशिष्ट ऊष्मा कहलाती है
ब्रह्मांड= निकाय + परिवेश
निकाय के प्रकार=
1 खुला निकाय= एक ऐसा निकला है जिसमें उर्जा या द्रव निकाय या परिवेश के रूप में होती है और परस्पर बदलते रहते हैं उसे खुला निकाय करते हैं
2 बंद निकाय= एक ऐसा निकाय जिसमें निकाय और परिवेश परस्पर नहीं बदलते हैं ऐसे निकाय को बंद निकाय कहते हैं
3 विलगित निकाय= एक ऐसा निकाय जिसमें निकाय और परिवेश दोनों के मध्य विनिमय होता है ऐसे निकाय को विलगित निकाय करते हैं
4 आंतरिक ऊर्जा= यदि कोई निकाय कोई कार्य करती है तो कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है वास्तु कि वह ऊर्जा जो वस्तु में गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित रहती है उसे आंतरिक ऊर्जा कहते हैं
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम= ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार उड़ जाना तो उत्पन्न की जा सकती है ना ही नष्ट की जा सकती है इसे सिर्फ एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है
उस्मा धारिता= यदि कोई सुचालक पदार्थ उसमें क्षेत्र में रखी जाती है तो वह पदार्थ उस्मा ग्रहण करता है वस्तु द्वारा लिए गए कुसमा की मात्रा और उस में लगा समय का अनुपात उस्मा धारिता कहलाता है इसे सी से प्रदर्शित करते हैं
विशिष्ट ऊष्मा= यदि किसी पदार्थ का निश्चित द्रव्यमान m ताप एक निश्चित मान तक बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा विशिष्ट ऊष्मा कहलाती है
Nyc
ReplyDeleteThat's easy and osm to learn
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteVery nice
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