संपूर्ण विश्व द्रव्य से बना है हम अपने चारों ओर अनेक प्रकार के सजीव एवं निर्जीव पदार्थ देखते हैं जिनका ज्ञान हम देख कर अथवा छूकर करते हैं
जैसे =लकड़ी ,लोहा ,जल, पेड़ ,धातु ,पर्वत आदि
कुछ वस्तुएं जैसे वायु दिखाई नहीं देती परंतु उसके बहने पर हम वायु का अनुभव करते हैं द्रव्य स्थान लेती है और उसमें द्रव्यमान होता है अतः वे सभी वस्तुएं जो स्था अतः वे सभी वस्तुएं जो स्थान लेती हैं जिनमें अतः वे सभी वस्तुएं जो अस्थान लेती हैं जिनमें द्रव्यमान होता है और जिन का अनुभव हम ज्ञान इंद्रियों द्वारा कर सकते हैं द्रव्य कहलाती है
द्रव्य की पहचान उसके तीन मूल लक्षणों से होती है
1. द्रव्य अस्थान लेता है= सभी द्रव्य स्थान लेता है द्रव से बनी कोई वस्तु जितना अस्थान लेता है उसे वस्तु का आयतन कहते हैं अतः आयतन द्रव्य का एक मूल लक्षण है
2. द्रव्य में जड़त्व होता है= किसी भी प्रकार के द्रव्य से बनी वस्तु पर कोई वाह बल लगाए बिना वस्त्र की विराम अथवा एक समान गति की अवस्था में परिवर्तन नहीं किया जा सकता द्रव्य की इस प्रवृत्ति को जड़त्व कहते हैं इसकी माप द्रव्यमान से की जाती है
3. गुरुत्वाकर्षण= द्रव्य के किन्ही दो करो अथवा पिंडों के बीच पारस्परिक आकर्षण का बल कार्य करता है जिसे गुरुत्वाकर्षण कहते हैं द्रव्य के किसी एक खंड द्वारा द्रव्य के किसी दूसरे खंड पर गुरुत्वाकर्षण बल आरोपित करना द्रव का मूल लक्षण है
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