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ऊर्जा का मूल स्रोत

 ऊर्जा का मूल स्रोत सूर्य है= वास्तव में सभी प्रकार की ऊर्जा ओं का मूल स्रोत सो रही है मनुष्य ने पृथ्वी पर जो भी ऊर्जा का स्रोत बनाया है अथवा खोजा है उन सब में सूर्य की ऊर्जा का रूपांतरण है सूर्य से ऊर्जा प्राप्त कर पेड़ पौधे बढ़ते हैं जिससे लकड़ी प्राप्त होती है प्राचीन काल में पेड़ पौधों के पृथ्वी के अंदर जाने से पृथ्वी के अंदर अत्यधिक गांव के कारण यह पत्थर के कोयले पेट्रोल आदमी परिवर्तित हो गए इनसे हम ऊर्जा प्राप्त करते हैं समुद्र का जल सूर्य से ऊष्मा लेकर वाष्प में परिवर्तित हो पर में चला जाता है तथा वर्षा होती है वर्षा के जल से बड़े बड़े बांध बनाकर विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जाती है हमारी पृथ्वी पर ऊर्जा स्रोतों का मूल स्रोत सूर्य से प्राप्त ऊर्जा ही है जो सौर ऊर्जा कल आती है सूर्य में ऊर्जा की उत्पत्ति पदार्थ के द्रव्यमान ऊर्जा के रूपांतरण से होती है सूर्य में हाइड्रोजन का विशाल भंडार है सूर्य में ऊर्जा रूपांतरण की क्रिया में प्रयोग करके एक ही बनाते रहते हैं इस ग्रुप में रूपांतरित हो जाता है सूर्य से प्रसारित होती है द्रव्यमान ऊर्जा का रूपांतरण की इस प्रक्रिया को नाभिकीय ऊर्जा के वैज्ञानिक ने की थी
अवशिष्ट जैव पदार्थ= हम दैनिक जीवन में बहुत से कार्बनिक पदार्थों को बेकार समझकर फेंक देते हैं अब ऐसे पदार्थ ऊर्जा के स्रोत के रूप में प्रयोग में लाया जा रहे हैं उदारता गली सड़ी वनस्पति गोबर आधीन को इकट्ठा करके किसी बंद कर दें में चढ़ने दिया जाता है इनसे प्रकार की गैस निकलती है जिसे मेथेन कहते हैं यह ज्वलनशील गैस है जिसका प्रयोग 8 रन की जगह किया जा रहा है गोबर गैस से भी इसी प्रकार का उदाहरण है
ऊर्जा का संरक्षण= विज्ञान के अध्ययन के फल स्वरूप उर्जा संबंधी एक बहुत ही महत्वपूर्ण तथा व्यापक सिद्धांत का पता चलता है यह सिद्धांत है कि ऊर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में केवल परिवर्तन ही किया जा सकता है उतना तो उत्पन्न की जा सकती है और ना ही नष्ट की जा सकती है इसे ऊर्जा के संरक्षण का सिद्धांत आते हैं इसके परिणाम स्वरूप विश्व की समस्त प्रकार की ऊर्जा का कुल परिणाम स्थिर रहता है इसका तात्पर्य है कि यदि किसी क्रिया में किसी प्रकार की खुश हो जाती है तो उतनी ही किसी दूसरे रूप में उत्पन्न हो जाती है
यांत्रिक ऊर्जा का संरक्षण= किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा तथा उसमें उपस्थित स्थितिज ऊर्जा के युवक को वस्त्र की आंतरिक ऊर्जा कहते हैं यदि किसी वस्तु से उस्मा अथवा विकिरण ओं के रूप में उर्जा की हानि ना हो तो उसके यांत्रिक ऊर्जा गतिज ऊर्जा प्रसिद्धि उर्जा अचर बनी रहती है 

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valency( संयोजकता)

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विद्युत बल्ब

 विद्युत बल्ब विद्युत धारा के उसमें प्रभाव पर आधारित एक उपकरण है जब विद्युत बल्ब के तंतु में धारा प्रवाहित की जाती है तो तंतु का प्रतिरोध अत्यधिक होने के कारण इस का तापमान 1500 डिग्री सेल्सियस से 2500 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है इस कारण यह चमकने लगता है  संरचना एवं कार्य विधि= विद्युत बल्ब का आज का एक खोखला गोला होता है जिसके अंदर से बाहर निकाल कर निर्वात रखते हैं बल्ब के ऊपरी भाग पर एक अल्मुनियम की टोपी लगी होती है जिसके दोनों और दो पिन लगी होती है तो पीके मुंह को चढ़ाया लाख से बंद कर दिया जाता है कपड़े के ऊपर जस्ते के दो टैंक लगे होते हैं जिनका संबंध दो मोटे तारों से होता है यह तार एक कांच की नली से होकर बल्ब के अंदर इस प्रकार लाए जाते हैं कि यह एक दूसरे को स्पर्श ना करें इनके आंतरिक शेरों के बीच टंगस्टन का एक बार इक्ता जुड़ा होता है जिसे तंत्र कहते हैं टंगस्टन का गलनांक होता है जब तंत्र में विभव धारा प्रवाहित की जाती है तो यह श्वेत तप्त होकर श्वेत प्रकाश देने लगता है