Skip to main content

Posts

Showing posts from 2018

Dell

घाटी

valency( संयोजकता)

  संयोजकता----किसी तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास करने पर वह कम कोर्स में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की संख्या को संयोजी इलेक्ट्रॉन कहते हैं और कोच को संयोजी कोश कहते हैं तथा इलेक्ट्रॉन की वह संख्या जो संयोग करती है उसे संयोजकता कहते हैं| जैसे---H(1)= 1-- संयोजी कोश --Cl(17)=2,8,7--- संयोजी इलेक्ट्रॉन                   संयोजकता=1        O(8)=2,6             संयोजकता=2  this is some balance.   attention   Table   If you want to know something please ask me I always reply your Question.
जब दो समान परमाणु या भिन्न-भिन्न परमाणु परस्पर संयुक्त होते हैं तो वह अणु बनाते हैं| जैसे----1. हाइड्रोजन परस्पर संयुक्त होकरH2 molicular बनाते हैं|                 H+H=H2 2. दो भिन्न-भिन्न परमाणु HऔरCl परस्पर मिलकरHCl  molicular बनाते हैं|

Mercy

The quality of Mercy is not strained., Is dropped as the gentle Rain from heaven Upon the place Beneath it is this blessed it bless him that gives and him that takes  It's mightiest in the mightiest it becomes the throned monarch better than his crown  history shows the force of temporal power  the attribute to away and Majesty Windows seat the dead and fear of things but mercy is above this is scripted sway it is enthroned in the Curse of king  it is an attribute to God himself and earthly power dose then show latest Gods  when Mercy season justice.

It is a very good book

You can read this book many types of grammar it is a lot of knowledge book you can read it and take enjoy and you can also speak English by this book this book is so glorious and buy this book I can speak English this article

About Booker T Washington

 Famous educational of United State of America was born in a poor Nigro family in 1856 his early life was full of difficulties and hardship when he was 9 years old he began working in a salt furnance and later in a coal mine Ye he heard about Hampton normal and agricultural Institute as he was a man of iron will he struggled hard to be educated later on he become famous as a social reformer educated and a great leader of negroes he died in 1915 he wrote so many books but this this most story is so beautiful and glorious my struggle for an education

CPU

 CPU ---control Processing Unit--- it is brain of computer it consists three main part. 1. Control unit 2. Arithmetic and logical unit 3. And main memory

What is RAM

Ram---( Random Access Memory)--- it is a type of memory which hold its data as long as computer is switched on when the computer is switched off all data held in RAM is lost it is a volatile memory.

Computer

Computer-- computer is a electronic device that accept process store and output data at high speed it is used for sending large amount of data it performs mathematical operation very rapidly it is made of world computer. M cent Browser this is my god you can your mobile code of my browser apply than more than more recharge KHGYI0

Some important proverbs[ कुछ महत्वपूर्ण मुहावरे]

1. डूबते को तिनके का सहारा= a drawing man catches at straw 2. रमता जोगी, बहता पानी= a rolling stone gathers no moss 3. खाली दिमाग शैतान का घर= nmpt mind is a devil's workshop 4. तुरंत दान महा कल्याण= A stitch in time saves nine 5. नाच ना जाने आंगन टेढ़ा=  a bad carpenter quarrels with his toys

Diwali

Diwali is great Hindu festival it is a festival of lights it often falls in the month of October or November every year it is believed that the Lord Ram return to Ayodhya from forest this day the citizen of Ayodhya gave him a warm welcome the decorated their houses and lighted them with the loss of earthen lamps so we celebrate this day in its memory it is celebrated with great pomp and show bread preparation are made for this festival the houses are clean it and white washed the shops are painted and reset the markets look very beautiful people get new dress prepared children but on guide dress they go to bazaras they buy sweets fruits and toys they give present to friends and relatives men days of celebration of Deepavali R3 Dhanteras Roop Chaturdashi and Diwali on amavasya day these Nights are bright ladies and children burn candles and lamps and soon the whole area is need of people worship goddess Lakshmi at night on amavasya day prayer for joy and riches

रासायनिक साम्यावस्था[Chemical Equalibirium]

स्थिर ताप पर जब कोई उत्क्रमणीय अभिक्रिया कराई जाती है तो पहले पहली अभिक्रिया प्रारंभ होती है जिससे उत्पाद बनता है और उत्पाद के द्वारा पुनः अभिक्रिया  प्राप्त किया जा सकता है इस प्रक्रिया के दौरान अभिक्रिया की दर और विपरीत क्रिया की दर बराबर हो जाती है तो अभिक्रिया कि वह अवस्था रासायनिक साम्यावस्था काल आती है

उत्क्रमणीय अभिक्रिया

वह अभिक्रिया जो समान परिस्थितियों में दोनों दिशाओं में होती है उसे उत्क्रमणीय अभिक्रिया कहते हैं इस अभिक्रिया में अभिकारक से उत्पाद बनाते हैं और पुनः उत्पाद से अभिकारक प्राप्त हो सकते हैं जैसे=H2+I2=2HI

अनुउत्क्रमणीय अभिक्रिया

वह अभिक्रिया जो केवल एक ही दिशा में होती है उसे अनुउत्क्रमणीय अभिक्रिया कहते हैं| जैसे=HCL+NaOH=NaCL+H2O यह अभिक्रिया केवल एक दिशा में होती है अर्थात अग्र दिशा में होती है ,किंतु विपरीत दिशा में नहीं होती है|

Best app for make money

1.Mcent Browser 2.Taskbucks 3.freelancer 4.Injoy 5.Cashboss

Indian cricket

Indian  cricket team is going well like he has got victory over West Indies and our top three batsman is present in top 5 batsman of ICC ranking as HITMAN ROHIT SHARMA is on 2nd rank RUN MACHINE VIRAT KOHLI is on 1st rank and our GABBER SHIKHAR DHAVAN is on the 5th rank and bowlers are also doing well so it,s good for India .

कोणीय वेग

 जब कोई गणपति गति करता है तो उसमें कोणीय विस्थापन की दर में होने वाला परिवर्तन कोणीय वेग कहलाता  है इसे ओमेगा से प्रदर्शित करते हैं

घर्षण कम करने का उपाय

1. जब किसी सतह पर पालिश कर दिया जाए तो वह सदा चिकना हो जाता है और घर्षण कम हो जाता है 2. जब तेल यादगिरी सता पर लगाया जाता है तो घर्षण बल का मान कम हो जाता है इसी कारण मिट्टी से बनी सड़कों पर चलने के लिए वाहनों मैं टायर लगाए जाते हैं

घर्षण के प्रकार

1. आंतरिक घर्षण 2. बाहरी घर्षण 3. स्थैतिक घर्षण 4. सीमांत घर्षण 5. गतिक घर्षण 6. लोटा निक घर्षण 7. सर्पी घर्षण 8. घर्षण कोण

ऊर्जा के प्रकार

1.गतिज ऊर्जा  2.स्थितिज ऊर्जा  3.यांत्रिक ऊर्जा  4.आंतरिक ऊर्जा  5.उष्मीय ऊर्जा  6.रासायनिक ऊर्जा  7.विद्युत ऊर्जा  8.नाभिकीय ऊर्जा  9.प्रकाश ऊर्जा  10.ध्वनि ऊर्जा  11.पवन ऊर्जा  12.जल ऊर्जा

विद्युत बल्ब

 विद्युत बल्ब विद्युत धारा के उसमें प्रभाव पर आधारित एक उपकरण है जब विद्युत बल्ब के तंतु में धारा प्रवाहित की जाती है तो तंतु का प्रतिरोध अत्यधिक होने के कारण इस का तापमान 1500 डिग्री सेल्सियस से 2500 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है इस कारण यह चमकने लगता है  संरचना एवं कार्य विधि= विद्युत बल्ब का आज का एक खोखला गोला होता है जिसके अंदर से बाहर निकाल कर निर्वात रखते हैं बल्ब के ऊपरी भाग पर एक अल्मुनियम की टोपी लगी होती है जिसके दोनों और दो पिन लगी होती है तो पीके मुंह को चढ़ाया लाख से बंद कर दिया जाता है कपड़े के ऊपर जस्ते के दो टैंक लगे होते हैं जिनका संबंध दो मोटे तारों से होता है यह तार एक कांच की नली से होकर बल्ब के अंदर इस प्रकार लाए जाते हैं कि यह एक दूसरे को स्पर्श ना करें इनके आंतरिक शेरों के बीच टंगस्टन का एक बार इक्ता जुड़ा होता है जिसे तंत्र कहते हैं टंगस्टन का गलनांक होता है जब तंत्र में विभव धारा प्रवाहित की जाती है तो यह श्वेत तप्त होकर श्वेत प्रकाश देने लगता है

विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव

विद्युत धारा के प्रवाह के कारण किसी चालक के ताप में वृद्धि की घटना को विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव कहते हैं जब किसी चालक में इलेक्ट्रॉन गत करते हैं तो यह चालक में उपस्थित परमाणुओं से बार-बार टकराते हैं इस प्रक्रिया में गतिशील इलेक्ट्रान अपनी गतिज ऊर्जा का कुछ भाग परमाणुओं को स्थानांतरित कर देते हैं ऊर्जा के इस स्थानांतरण से चालक के परमाणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है जिससे संपूर्ण चालक का ताप बढ़  जाता है अर्थात विधुत धारा के प्रभाव से पदार्थों में उष्मा उत्पन्न होती है

विद्युत ऊर्जा

किसी चालक में विद्युत आवेश प्रवाहित होने के कारण जो ऊर्जा व्यय होती है उसे विद्युत ऊर्जा कहते हैं विद्युत ऊर्जा के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं 1. सौर ऊर्जा 2. पवन ऊर्जा 3. जल ऊर्जा 4. उष्मीय ऊर्जा 5. यांत्रिक ऊर्जा 6. रासायनिक उर्जा 7. प्रकाश विद्युत सेल 8. दाब विद्युत स्रोत 9. नाभिकीय ऊर्जा

विद्युत विभव

विद्युत विभव एकांक धन आवेश को अनंत से विद्युत क्षेत्र में स्थित किसी बिंदु तक लाने में किए गए कार्य को उस बिंदु का विद्युत विभव कहते हैं इसेV से प्रदर्शित करते हैं यदि qकूलाम आवेश को अनंत से किसी बिंदु तक लाने में किया गया कार्यW जूल तो उस बिंदु पर कार्यरत विद्युत विभव बराबर, V=W/q विद्युत विभव का मात्रक जूल प्रति कूलाम या वोल्ट होता है

विद्युत धारा

 यदि किसी चालक में विद्युत आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं इसेI से प्रदर्शित करते हैं यदि किसी चालक में tसमय में qआवेश प्रवाहित हो तो चालक में प्रवाहित विद्युत धारा, [I=q/t]

विद्युत आवेश के प्रकार

विद्युत आवेश दो प्रकार का होता है 1. धन आवेश= किसी पदार्थ पर इलेक्ट्रान की कमी के कारण उत्पन्न आवेश को धन आवेश कहते हैं उदाहरण= यदि एक कांच की छड़ को रेशम के कपड़े पर रगड़ा जाता है तो कांच की छड़ पर इलेक्ट्रॉनों की कमी हो जाती है जिस कारण कांच की छड़ धन आवेशित हो जाती है 2. ऋण आवेश= किसी पदार्थ पर इलेक्ट्रॉन की अधिकता के कारण उत्पन्न आवेश को ऋण आवेश कहते हैं

विद्युत आवेश

 प्रत्येक पदार्थ परमाणुओं से मिलकर बना होता है जब किसी पदार्थ में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या में कमी या वृद्धि हो जाती है तो उस पदार्थ में एक विशेष प्रकार का गुण उत्पन्न होता है जिसके कारण जिसमें विद्युत तथा चुंबकीय प्रभाव उत्पन्न हो जाते हैं पदार्थ का यह गुण विद्युत आवेश कहलाता है विद्युत आवेश = पदार्थों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या * इलेक्ट्रॉन पर आवेश [q=ne]

गोलीय दर्पण

यदि किसी कांच के खोखले गोले को काटकर उसके एक पृष्ठ पर चांदी की पालिश या कलाई कर दी जाए तो प्राप्त दर्पण गोलीय दर्पण कहलाता है गोली दर्पण दो प्रकार के होते हैं 1. अवतल दर्पण= वह गोली दर्पण जिसके परावर्तक पृष्ठ अंदर की और दवा होता है अर्थात परावर्तन दबे हुए पृष्ठ से होता है अवतल दर्पण कहलाता है 2. उत्तल दर्पण= वह गोली दर्पण जिस का परावर्तक पृष्ठ बाहर की ओर भरा होता है अर्थात परावर्तन उभरे हुए पृष्ठ से होता है उत्तल दर्पण कहलाता

प्रकाश किरण

 जब प्रकाश कीसी पारदर्शी माध्यम में सरल रेखा में गमन करता है तब प्रकाश के पथ को प्रकाश किरण कहते हैं तथा प्रकाश किरणों के समूह को प्रकाश पुंज कहते हैं प्रकाश पुंज निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं 1. अभिसारी प्रकाश पुंज= जब प्रकाश की समस्त कि किरणें एक ही बिंदु पर मिलती है तो उन प्रकाश किरणों के समूह को अभिसारी प्रकाश पुंज कहते हैं 2. अपसारी प्रकाश पुंज जब प्रकाश की समस्त किरणें एक ही बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है तो उन प्रकाश किरणे के समूह को अपसारी प्रकाश पुंज कहते हैं 3.समांतर प्रकाश पुंज जयप्रकाश की समस्त किरणें एक दूसरे के समांतर होती हैं तो उन प्रकाश किरणों के समूह को समांतर प्रकाश पुंज कहते हैं चित्र दो में पहले स्थान पर उसका चित्र है

प्रकाशिक माध्यम

प्रकाश जैन माध्यमों से होकर गुजरता है उन्हें प्रकाशिक माध्यम कहते हैं प्रकाशिक माध्यमों को निम्नलिखित इन वर्गों में विभाजित किया जाता है 1. पारदर्शक माध्यम= जिन माध्यमों से प्रकाश का अधिकांश भाग गुजर जाता है उन्हें पारदर्शक माध्यम कहते हैं उदाहरण= वायु ,कांच आदि 2.  अपार दर्शक माध्यम= जिन माध्यम से प्रकाश की कोई भी भाग नहीं गुजर जाता है उन्हें पारदर्शक नहीं अपार दर्शक माध्यम करते हैं उदाहरण= लकड़ी ,लोहा आदि|

प्रकाश के गुण

1. प्रकाश स्वयं अदृश्य होता है परंतु इसकी उपस्थिति में वस्तु दिखाई देती है 2. साधारण त्या प्रकाश सरल रेखा में गमन करता है 3. प्रकाश के संचरण हेतु किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है प्रकाश निर्वात में भी गमन कर सकता है 4. प्रकाश विद्युत चुंबकीय तरंगों के रूप में चलता है 5. प्रकाश पारदर्शी माध्यम में से गुजर सकता है परंतु अपारदर्शी माध्यम में से नहीं गुजर सकता 6. विभिन्न माध्यमों में प्रकाश की चाल भिन्न-भिन्न होती है निर्वात में प्रकाश की चाल 3 * 10 की घात 8 मीटर पर सेकंड होती है 7. चमकदार पृष्ठों से प्रकाश परावर्तित हो जाता है 8. जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है तो प्रकाश अपने पथ से विचलित हो जाता है

प्रकाश

प्रकाश ऊर्जा का वह रूप है जिसकी सहायता से हम वस्तुएं दिखाई देती है जब प्रकाश किसी वस्तु पर आपतित होता है तो वह परावर्तित होकर हमारी आंखों तक पहुंचता है जिसके फलस्वरूप हमें वस्तुएं दिखाई देती है प्रकाश स्रोत= प्रकाश हमें विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक स्रोतों ,जैसे =सूर्य ,तारे , स्त्रोतों ,,जैसे =मोमबत्ती ,विद्युत बल्ब ,आदि से प्राप्त होता है इन के आधार पर प्रकाश स्रोतों को निम्नलिखित दो वर्गों में बांटा जा सकता है

प्रक्षेप्य गति

 जब किसी पिंड को पृथ्वी तल या उसके समीप किसी बिंदु से ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर फेंका जाता है तो वह पिंड गति करते हुए वापस पृथ्वी पर आती है पिंड के इस गति को प्रक्षेप गति कहते हैं और उसके मार्ग को प्रक्षेप पथ कहते हैं जैसे= गेंद ,फुटबॉल ,तोप का गोला ,बंदूक की गोली. आदि प्रक्षेप्य गति करती है समतल गति= यदि कोई पिंड किसी मार्ग पर एक समान वेग से लगातार चलता है और उसके त्वरण में कोई परिवर्तन नहीं होता तो पिंड के इस गति को समतल गति कहते हैं प्रक्षेप्य का पथ= यदि किसी  प्रक्षेप्य को ऊर्ध्वाधर ऊपर की और प्रारंभिक वेग uसे α कोण पर फेंका जाता है तो उसकी अधिकतम ऊंचाईy और   दूरी xमाना गया है प्रक्षेप का उड्डयन काल= जब किसी पिंड को ऊपर की ओर फेंका जाता है तो वह कुछ समय बाद वापस आ जाती है क्योंकि पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को आकर्षित करती है अतः प्रक्षेप का वह समय जो उड़ने में लगता है उसे अपने प्रक्षेप्य का उड्डयन काल कहते हैं प्रक्षेप्य का परास= जब कोई प्रक्षेप पर पृथ्वी तल से ऊपर फेंका जाता है तो उसके द्वारा दूरी प्रक्षेप का  आता है

Rotational motion of rigid bodies

Raigarh bodies= एक ऐसा पेड़ जिस पर बल लगाने से उसके आकार में कोई परिवर्तन नहीं होता ऐसे पिंड को रायगड बॉडीज करते हैं मतलब कठोर पिंड घूर्णन गति= यदि कोई पिंड किसी बिंदु के चारों ओर गति करता है तो पिंड के इस गति को घूर्णन गति कहते हैं जैसे= छत वाला पंखा कोरिया विस्थापन= जब कोई पिंड घूर्णन गति या वृत्तीय गति करता है तो एक स्थान से दूसरे स्थान तक जब पिंड पहुंचता है तो उसके द्वारा वृत्त के केंद्र पर अंतरित कोण उसका कोणीय विस्थापन कहलाता है  कोण = चाप/ त्रिज्या  इसका मात्रक रेडियन होता है

Essay on 15 August Independence

Essay on 15 August Independence Day= our independence day falls on the 15 August in every year our country got freedom on this day we celebrate this day with great zeal every year this year we made great preparation in our school everyone of us was eager to take part in the Independence Day celebrations the vice principal view of a program it was announced by the principal on the 13th of August in the morning of 15th August 3rd in the Ram Leela ground behind the bus stand near the water tank our teachers also joined up in a few minutes we were divided into four parties each parties was singing national song and shouting Mahatma Gandhi ki Jai Bharat Mata Ki Jai aur younger companions work full of more enthusiasm devar shouting the slogans at top of their voice the singing and shouting National slogans will reach schools at our time to stand class wise in our Khaki uniform will look like soldier ready to give our life for the sake of Mother India the teacher student behind us on our pri

Top 5 best app for make money

1 Blogger.com 2 YouTube 3 freelancer 4 vigo 5 M cent Browser

द्रव की भौतिक अवस्थाएं क्या है

 द्रव्य की निम्न तीन प्रमुख भौतिक अवस्थाएं हैं 1. ठोस अवस्था= ठोस अवस्था में द्रव्य आयतन दोनों सुनिश्चित होता है|  उदाहरण =बर्फ ,लकड़ी ,एवं ,धातु  से द्रव्य है 2. द्रव्य अवस्था= इस अवस्था में द्रव्य का आयतन तो निश्चित होता है परंतु आकृति निश्चित नहीं होती अर्थात द्रव को जिस बर्तन में रखा जाता है वह उसी की आकृति ग्रहण कर लेता है उदाहरण जल, तेल ,पारा ,आदि| 3.गैस अवस्था= इस अवस्था में द्रव्य का आकार तथा आयतन दोनों निश्चित नहीं होते हैं वह जिस बर्तन में रखा जाता है उसी की अकृत का हो जाता है तथा बर्तन में उपलब्ध संपूर्ण स्थान को घेर लेता है उदाहरण= वायु ऑक्सीजन हाइड्रोजन जलआदि

द्रव्य क्या है

संपूर्ण विश्व द्रव्य से बना है हम अपने चारों ओर अनेक प्रकार के सजीव एवं निर्जीव पदार्थ देखते हैं जिनका ज्ञान हम देख कर अथवा छूकर करते हैं  जैसे =लकड़ी ,लोहा ,जल, पेड़ ,धातु ,पर्वत आदि कुछ वस्तुएं जैसे वायु दिखाई नहीं देती परंतु उसके बहने पर हम वायु का अनुभव करते हैं द्रव्य स्थान लेती  है और उसमें द्रव्यमान होता है अतः वे सभी वस्तुएं जो स्था अतः वे सभी वस्तुएं जो स्थान लेती हैं जिनमें अतः वे सभी वस्तुएं जो अस्थान लेती हैं जिनमें द्रव्यमान होता है और जिन का अनुभव हम ज्ञान इंद्रियों द्वारा कर सकते हैं द्रव्य कहलाती है  द्रव्य की पहचान उसके तीन मूल लक्षणों से होती है 1. द्रव्य अस्थान लेता है= सभी द्रव्य स्थान लेता है द्रव से बनी कोई वस्तु जितना अस्थान लेता है उसे वस्तु का आयतन कहते हैं अतः आयतन द्रव्य का एक मूल लक्षण है 2. द्रव्य में जड़त्व होता है= किसी भी प्रकार के द्रव्य से बनी वस्तु पर कोई वाह बल लगाए बिना वस्त्र की विराम अथवा एक समान गति की अवस्था में परिवर्तन नहीं किया जा सकता द्रव्य की इस प्रवृत्ति को जड़त्व कहते हैं इसकी माप द्रव्यमान से की जाती है 3. गुरुत्वाकर्षण= द्र

ग्राम विकास की समस्याएं और उसका समाधान

प्राचीन काल से ही भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है भारत की लगभग 70% जनता गांव से में निवास करती है इस जनसंख्या का अधिकांश भाग कृषि पर निर्भर करता है कृषि भारत को अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में विशेष ख्याति प्रदान की है भारत की सकल राष्ट्रीय आय का लगभग 30% कृषि से ही आता है भारतीय समाज का संगठन और संयुक्त प्रणाली आज के युग में कृषि व्यवसाय के कारण ही अपना महत्व बनाए हुए हैं आश्चर्य की बात यह है कि हमारे देश में कृषि बहुसंख्यक जनता का प्रमुख और महत्वपूर्ण व्यवसाय होते हुए भी बहुत ही पिछड़ा हुआ 

मापन तथा मात्रक

वे सभी राशियां जी ने एक संख्या द्वारा व्यक्त किया जा सकता है तथा अप्रत्यक्ष रूप से मापा जा सकता है बहुत ही रसिया कल आती हैं जैसे लंबाई ,क्षेत्रफल ,आयतन ,द्रव्यमान ,समय ,ताप ,विद्युत धारा आदि को  नापा जा सकता है किसी भी भौतिक राशि की मां पर है तू उसी प्रकार की राशि से एक निश्चित परिमाण को मानक मानकर उस बौद्धिक राज्य को इन मानक के पदों में व्यक्त करते हैं इन मानकों मात्रक करते हैं पता किसी अज्ञात राशि की दूसरी ज्ञात स्थिर मात्रक राशि के साथ तुलना करने की क्रिया को मापन कहते हैं किसी भी राज्य का मान बताने के लिए 2 पदों की आवश्यकता होती है 1. राशि का संख्यात्मक मान 2. मापन का मात्रक अतः किसी राशि के निश्चित मापन के लिए उसका एक मात्र एक निश्चित करना आवश्यक है

कंप्यूटर

प्रस्तावना- कंप्यूटर असीमित क्षमताओं वाला वर्तमान युग का एक क्रांतिकारी साधन है  यह एक ऐसा यंत्र पुरुष है जिसमें यांत्रिक मस्तिष्क ओं का रूप आत्मक और समन्वय आत्मक योग तथा गुणात्मक घनत्व पाया जाता है इसके परिणाम स्वरूप यह कम से कम समय में तेज गति से त्रुटि इन गणनायक कर लेता है आरंभ में गणित के जटिल घटनाएं करने के लिए ही कंप्यूटर का आविष्कार किया गया था आधुनिक कंप्यूटर के प्रथम सिद्धांत कार चार्ल्स बैबेज का जीवन काल 1792 से 871 गणित और खगोल की सूची तैयार करने के लिए कंप्यूटर की योजना तैयार कीथी उन्नीसवीं सदी के अंतिम दशक में अमेरिकी इंजीनियर हरमन होले जितने जनगणना से संबंधित आंकड़ों का विश्लेषण करके करने के लिए पंच कारणों पर आधारित कंप्यूटर का प्रयोग किया था दूसरे महायुद्ध के दौरान पहली बार बिजली से चलने वाले कंप्यूटर बने इसका उपयोग भी घटनाओं के लिए ही हुआ आज के कंप्यूटर केवल घटनाओं करने तक ही सीमित नहीं रह गए हैं कंप्यूटर के उपयोग- आज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कंप्यूटर के व्यापक उपयोग हो रहे हैं 1. प्रकाशन के क्षेत्र में- सन 1971 ईस्वी में माइक्रोप्रोसेसर का आविष्कार हुआ इस आवि

इंटरनेट

भूमिका= इंटरनेट ने विश्व में जैसा क्रांतिकारी परिवर्तन किया वैसा किसी भी दूसरे टेक्नोलॉजी ने नहीं किया नेट के नाम से लोकप्रिय इंटरनेट अपने उपभोक्ताओं के लिए बहुआयामी साधन प्रणाली है या दूर बैठे उपभोक्ताओं के मध्य अंतर संवाद का माध्यम है सूचना या जानकारी में भागीदारी और सामूहिक रूप से काम करने का तरीका है सूचना को विश्व स्तर पर प्रकाशित करने का जरिया है और सूचनाओं का अपार सागर है इसके माध्यम से इधर-उधर फैली तमाम सूचनाएं संस्करण के बाद ज्ञान में परिवर्तित हो रही है बहुत ही और घनिष्ठ समुदाय का विकास क्या है इन टेक्नोलॉजी के संयुक्त रूप से कार्य का उपयुक्त उदाहरण है कंप्यूटर के बड़े पैमाने पर उत्पादन कंप्यूटर संपर्क दूरसंचार सेवाओं की उपलब्धता और आंखों के भंडारण और संप्रेषण मैं आई नवीनता ने नेट के कल्पना अतीत विकास और उपयोगिता को बहुमुखी प्रगति प्रदान की है आज किसी समाज के लिए इंटरनेट वैसा ही ढांचागत आवश्यकता है जैसे कि सड़क के टेलीफोन या विद्युत ऊर्जा इतिहास और विकास= इंटरनेट का इतिहास पेचीदा है इसका पहला दृष्टांत सन 1962 ईस्वी में मैसाचुसेट्स टेक्नालॉजी संस्थान के जेसीआर लिकलाइडर द्वार

तीसरे T20 में रोहित शर्मा तोड़ सकते हैं यह 2 रिकॉर्ड जरूर देखें

दोस्तों रोहित शर्मा ने दूसरे T20 में 111 रन की शानदार पारी खेलकर टीम इंडिया को जीत दिलाई थी तीसरे T20 में भी हुआ कई रिकॉर्ड अपने नाम कर सकते हैं 1. T20 इंटरनेशनल में सबसे ज्यादा रन दोस्तों रोहित शर्मा ने अब तक कुल 86 इंटरनेशनल खेले हैं जिसकी 79 पारियों में 2203 रन बनाए हैं और अब उनके आगे सिर्फ मार्टिन गुप्टिल ही हैं  जिन्हें पढ़ने के लिए रोहित शर्मा को कम से कम 78 रनों की पारी खेलनी होगी 2. साल 2018 में सबसे ज्यादा छक्के रोहित शर्मा 15 टी-20 इंटरनेशनल में अब तक 29 छक्के जड़ चुके हैं अगले मुकाबले में 7 छक्के लगाकर वह कॉलिन मुनरो के 35 छक्कों के रिकॉर्ड को तोड़ सकते है

मूल राशियां तथा मूल मात्रक

 विज्ञान के अध्ययन एवं अन्वेषण में अनेक भौतिक राशियों का प्रयोग किया जाता है जिनकी संख्या सैकड़ों  तक हो सकती है यदि सभी राशियों के लिए अलग-अलग मात्रक निर्धारित किए जाएं तो इन सबको जाना है याद रखना संभव नहीं होगा अतः कुछ ऐसी भौतिक राशियों को मूल राशियां माना गया जिन का मापन सरलतम तथा केवल एक ही राशि पर निर्धारित होता हो  उदाहरण लंबाई के लिए केवल एक राज को नापना पर्याप्त है जबकि छेत्रफल के लिए लंबाई एवं चौड़ाई 2 राशियों  को चाल के लिए दूरी एवं समय को घनत्व के लिए द्रव्यमान लंबाई चौड़ाई तथा ऊंचाई को मापना आवश्यक है अतः लंबाई  एक मूल राशि है जबकि उपर्युक्त अन्य राशियां मूल राशि नहीं है विज्ञान में 7 मूल राशियां होती है[ लंबाई या दूरी, द्रव्यमान ,समय, ताप ,विद्युत धारा ,ज्योति तीव्रता तथा पदार्थ की आण्विक मात्रा] निर्धारित की गई है तथा इन राशियों के मात्रक मानक रूप में निश्चित किए गए हैं इन मात्र को को मूल मात्रक कहते हैं अतः मूल मात्रक ऐसी मात्रक है जिनका अलग-अलग स्वतंत्र रूप से निर्धारण किया गया है अर्थात कोई मूल मात्रक अन्य किसी मूल मात्रक पर निर्भर नहीं करता है इसके विपरीत जिन मात्र

परमाणु संरचना

1 परमाणु= तत्वों के परमाणु के  आकार  बहुत छोटा और भार बहुत ही कम होते हैं हाइड्रोजन का परमाणु सबसे छोटा तथा सबसे हल्का  परमाणु है डाल्टन का मत था कि किसी तत्व का परमाणु तत्व का  छोटा कण है जो रासायनिक रूप में अविभाज्य है लेकिन बाद की खोजों से सिद्ध हो गया कि प्रमाण छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना है जिन्हें इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन कहते हैं 1 इलेक्ट्रॉन= जे जे थॉमसन द्वारा इसकी खोज की गई यह की सोच में ऋण आवेशित कण है इस पर एक इकाई देना आवेश होता है और उसका भार हाइड्रोजन परमाणु का 1 / 1845 भाग है 2 प्रोटॉन रदरफोर्ड द्वारा इसकी खोज की गई अधिसूचना धन आवेशित कण है इस पर एक इकाई धन आवेश होता है और भार हाइड्रोजन के परमाणु भार का लगभग बराबर होता है हाइड्रोजन परमाणु में से इलेक्ट्रान निकल जाने पर जो इकाई धन आवेशित कण बचता है उसे  प्रोटॉन कहते हैं 3  न्यू ट्रां ना इसकी खोज जारी करने की यह विद्युत उदासीन कण है इस पर कोई आवेश नहीं होता इसका भार हाइड्रोजन के परमाणु भार के बराबर होता है

आसवन, उर्ध्वपातन, भौतिक परिवर्तन, रासायनिक परिवर्तन

1 आसवन= किसी द्रव को गर्म करके वाष्प में बदलना था उसकी वास्तु को ठंडा करके पुनः द्रव में बदलने की क्रिया को आसन करते हैं आसुत जल इस विधि से प्राप्त किया जाता है 2 उर्ध्वपातन= कुछ ठोस पदार्थ जैसे अमोनिया क्लोराइड आयोडीन कपूर आदि गर्म होकर बिना द्रव अवस्था में बदले सीधे वाष्प अवस्था में बदल जाते हैं तथा ठंडा होने पर बिना द्रव में बदले सीधे ठोस अवस्था को प्राप्त हो जाते हैं ऐसे द्रव को   उर्ध्वपातन पदार्थ कहते हैं तथा  इस क्रिया को  उर्ध्वपातन किया करते हैं 3 भौतिक परिवर्तन= वे परिवर्तन जिनमें पदार्थों के स्वरूप व गुण धर्मों में अस्थाई परिवर्तन आता है जबकि उनके भार तथा रासायनिक संगठन अपरिवर्तित रहते हैं अर्थात कोई नया पदार्थ नहीं बनता भौतिक परिवर्तन कर लाते हैं जैसे विद्युत बल्ब का जलना,  बर्फ का पिघलना, बादलों का बनना ,जल का आसन ,आयोडीन का उत्पादन, गैस का आयतन बन्ना ,नमक अथवा चीनी का पानी में घुल ना आदि 4 रासायनिक परिवर्तन= वे परिवर्तन जिनमें पदार्थों के संगठन अवस्था व गुणधर्म स्थाई रूप में बदल जाते हैं और नए पदार्थ बन जाते हैं रासायनिक परिवर्तन कर आते हैं बत्ती का जलना मैग्नीशियम

द्रव्य और उसकी अवस्थाएं(Matter and it's states)

1 द्रव्य = वह वस्तुएं जो स्थान देती हैं तथा द्रव्यमान रखती हैं द्रव्य कहलाती हैं इसकी तीन अवस्थाएं होती है ठोस द्रव तथा गैस में पाया जाता है 2ऊर्जा= प्रकाश उष्मा ध्वनि विद्युत आदिपुर जाओं के विभिन्न स्वरुप है ऊर्जा अविनाशी है आधुनिक विचारों के अनुसार ऊर्जा को द्रव्यमान में तथा द्रव्यमान को ऊर्जा में रूपांतरित किया जा सकता है 3 आइंस्टीन का ऊर्जा  तुल्य ता का  नियम= इस नियम के अनुसार हम ग्राम द्रव्यमान के लुप्त होने पर एमसी स्क्वायर ऊर्जा उत्पन्न होती है अर्थात E=mc² 4 तत्व= तत्व प्रकृति का मूल पदार्थ है जिसमें एक ही प्रकार का सरलतम पदार्थ होता है अर्थात वह समान परमाणुओं से बने होते हैं जैसे तांबा चांदी ऑक्सीजन आदि अब तक 108 तत्वों की खोज हो चुकी है भूपर्पटी तत्वों का मुख्य उद्गम है धातुओं में अक्सीजन तथा धातुओं में एलमुनियम सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है तत्व को उनके गुणों के आधार पर निम्न तीन वर्गों में विभाजित किया गया है 1 धातु= तांबा लोहा चांदी सोना पारा जस्ता आज तत्व धातु है क्योंकि इनमें  धात्विक चमक उच्च  ऊष्मा चालकता उच्च विद्युत चालकता तथा   सामर्थ्य आदि के गुण होते है

निकाय और परिवेश

 निकाय और परिवेश की परिभाषा= उस्मा गतिकी में दो मुख्य भाग होते हैं जिसे निकाय और प्रवेश करते हैं किसी विशेष वस्तु को निकाल करते हैं और उसके चारों ओर उपस्थित सभी प्रकार की अवस्थाओं को प्रवेश करते हैं ब्रह्मांड= निकाय + परिवेश निकाय के प्रकार= 1 खुला निकाय= एक ऐसा निकला है जिसमें उर्जा या द्रव  निकाय या परिवेश के रूप में होती है और परस्पर बदलते रहते हैं उसे खुला निकाय करते हैं 2 बंद निकाय= एक ऐसा  निकाय जिसमें निकाय और परिवेश परस्पर नहीं बदलते हैं ऐसे निकाय को बंद निकाय कहते हैं 3 विलगित निकाय= एक ऐसा निकाय जिसमें निकाय और परिवेश दोनों के मध्य विनिमय होता है ऐसे निकाय को विलगित निकाय करते हैं 4 आंतरिक ऊर्जा= यदि कोई निकाय कोई कार्य करती है तो कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है वास्तु कि वह ऊर्जा जो वस्तु में गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित रहती है उसे आंतरिक ऊर्जा कहते हैं ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम= ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार उड़ जाना तो उत्पन्न की जा सकती है ना ही नष्ट की जा सकती है इसे सिर्फ एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है उस्मा

ऊर्जा का मूल स्रोत

 ऊर्जा का मूल स्रोत सूर्य है= वास्तव में सभी प्रकार की ऊर्जा ओं का मूल स्रोत सो रही है मनुष्य ने पृथ्वी पर जो भी ऊर्जा का स्रोत बनाया है अथवा खोजा है उन सब में सूर्य की ऊर्जा का रूपांतरण है सूर्य से ऊर्जा प्राप्त कर पेड़ पौधे बढ़ते हैं जिससे लकड़ी प्राप्त होती है प्राचीन काल में पेड़ पौधों के पृथ्वी के अंदर जाने से पृथ्वी के अंदर अत्यधिक गांव के कारण यह पत्थर के कोयले पेट्रोल आदमी परिवर्तित हो गए इनसे हम ऊर्जा प्राप्त करते हैं समुद्र का जल सूर्य से ऊष्मा लेकर वाष्प में परिवर्तित हो पर में चला जाता है तथा वर्षा होती है वर्षा के जल से बड़े बड़े बांध बनाकर विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जाती है हमारी पृथ्वी पर ऊर्जा स्रोतों का मूल स्रोत सूर्य से प्राप्त ऊर्जा ही है जो सौर ऊर्जा कल आती है सूर्य में ऊर्जा की उत्पत्ति पदार्थ के द्रव्यमान ऊर्जा के रूपांतरण से होती है सूर्य में हाइड्रोजन का विशाल भंडार है सूर्य में ऊर्जा रूपांतरण की क्रिया में प्रयोग करके एक ही बनाते रहते हैं इस ग्रुप में रूपांतरित हो जाता है सूर्य से प्रसारित होती है द्रव्यमान ऊर्जा का रूपांतरण की इस प्रक्रिया को नाभिकीय ऊर्जा के

ऊर्जा के स्रोत

1 ईंधन = विभिन्न प्रकार के निर्धनों जैसे कोयला मिट्टी का तेल गैस पेट्रोल आदि में रासायनिक ऊर्जा होती है इन्हें जलाकर उसमें प्राप्त की जाती है जिसका सीधे अथवा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तन करके उपयोग किया जाता है वर्तमान समय में यह अत्यधिक प्रयुक्त होने वाले ऊर्जा का स्रोत है विभिन्न युक्तियों का प्रयोग करके ऐसे इंजन तैयार किए गए हैं जिनमें इन दोनों की रासायनिक ऊर्जा यांत्रिक ऊर्जा में बदल जाती है इसी से मोटर कार वायु यान आदि के इंजन चलाए जाते हैं 2 जाल से ऊर्जा= भाखड़ा नांगल व अन्य बांधो में पहले जल को ऊंचाई पर इकट्ठा किया जाता है इस जल में गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा होती है जब जल टरबाइन के पंखे की पंखुड़ियां पर गिरता है तो टरबाइन का पहिया घूमने लगता है इस क्रिया में जल की स्थितिज ऊर्जा पहिए की गतिज ऊर्जा में बदल जाती है इस पहिए द्वारा डायनेमो का आर्मेचर को घुमाते हैं जिसमें विद्युत ऊर्जा प्राप्त होती है आजकल विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने का यह सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है 3 वायु से ऊर्जा= गतिमान वायु अर्थात पवन की गतिज ऊर्जा से आने की आर्थिक कार्य किए जाते हैं जैसे अनाज से भूसा अलग करना समुद्र

कार्य

कार्य की परिभाषा= सामान्य भाषा में कार्य का अर्थ है किसी क्रिया के संपादन से होता है जब कोई व्यक्ति खेत में हल चलाता है चक्की से आटा पिस्ता है लकड़ी चीरता है या ढेकली से खेत में पानी देता है उस तक पड़ता है या उसका मन करता है तो सामान्य भाषा में यह कहा जाता है कि व्यक्ति कार्य कर रहा है परंतु भौतिक में कार्य का विशेष अर्थ है जो निम्न वत है बल लगाकर किसी वस्तु को बल की दिशा में विस्थापित करने की क्रिया को कार्य करते हैं अर्थात कार्य होने के लिए बल तथा बल की दिशा में विस्थापन दोनों आवश्यक है यदि बल लगाने से वस्तु में विस्थापन ना हो या विस्थापन तो हो परंतु बल की दिशा में ना हो तो भौतिकी में यही कहा जाएगा कि कार्य नहीं हो रहा है पृथ्वी पर स्थित रखी सभी वस्तुओं पर गुरुत्व बल तो लगता है परंतु विस्थापन ना होने से कोई कार्य नहीं हो रहा है कुत्ता कार मार्ग पर घूमते हुए किसी पिंड का विस्थापन तो हो रहा है परंतु घूमने के लिए लग रहे अभिकेंद्र बल की दिशा केंद्र की ओर है जो भी स्थापित है अतः बल की दिशा में स्थापन का मानसून होने के कारण यही कहा जाएगा कि बल द्वारा कोई कार्य नहीं किया जा रहा है इसी प्रक

गुरुत्वाकर्षण(Gravitation)

यदि कोई भी वस्तु पर ले जाकर स्वतंत्र छोड़ दी जाती है तो वह पृथ्वी की ओर गिरने लगती है किसी पेड़ के फल डालियों से अलग होते हैं तो पृथ्वी पर गिरते पड़ते हैं यदि हम पत्थर के एक टुकड़े या क्रिकेट की गेंद या अन्य किसी पिंड को हाथ में लेकर इसे बिना कोई बल लगाए स्वतंत्र छोड़ देते हैं तो यह पृथ्वी की और गिरता है और पृथ्वी पर आ जाता है स्वतंत्र छोड़े जाने के समय यह पिंड विराम की अवस्था में रहता है हमारी ओर से इस पर कोई बल नहीं लगाया जाता फिर भी यह दिल होता है इसमें वेब उत्पन्न होता है जो जो यह पृथ्वी के समीप आता जाता है इसके बाद में वृद्धि होती जाती है अर्थात इस में त्वरित वेग होता है न्यूटन के गति के प्रथम नियम के अनुसार विराम अवस्था में कोई वस्तु बिना बाइबल के अवस्था में नहीं आ सकती को छोड़ते समय हमारे द्वारा इस पर कोई आरोप नहीं हो रहा है तो कौन सा बल को बना रहा है इस प्रश्न का उत्तर वैज्ञानिक न्यूटन ने ढूंढा एक प्रचलित की बनती है कि सेब के पेड़ से सेब टूटकर जब पृथ्वी पर उसके सामने गिरा तो उसने विचार किया और निष्कर्ष निकाला कि सेब पर पृथ्वी द्वारा आकर्षण बल आरोपित होता है जो उस से पृथ्वी की

बल(Force)

बल= वह वाह कारण जो किसी वस्तु की गति अवस्था अथवा विराम अवस्था में परिवर्तन कर देता है या परिवर्तन करने का प्रयास करता है यह एक  सदिश राशि है तथा एस आई पद्धति में इसका मात्रक न्यूटन है न्यूटन= वह बल जो 1 किलोग्राम द्रव्यमान की वस्तु में 1 मीटर सेकंड का त्वरण उत्पन्न कर देता है उसे एक न्यूटन कहते हैं गुरुत्वीय बल= पृथ्वी द्वारा वस्तु पर लगाए गए बल को गुरुत्वीय बल कहते हैं गुरुत्वीय त्वरण= गुरुत्वीय बल के कारण गिरती हुई वस्तुओं में जो त्वरण उत्पन्न हो जाता है उसे गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं उससे अक्षर gसे प्रदर्शित करते हैं इस का मान 9.81 मीटर प्रति सेकंड स्क्वायर होता है न्यूटन के गति विषयक नियम= प्रथम नियम= यदि कोई वस्तु विराम अवस्था में है तो वह विराम अवस्था में ही रहेगी और यदि गत्ते अवस्था में है तो उसी वेग से चलती रहेगी जब तक कि उस पर कोई वाह बल ने लगाया जाए इसे जड़त्व का नियम भी कहते हैं द्वितीय नियम= किसी वस्तु पर आरोपित बल या वस्तु के द्रव्यमान तथा उसमें उत्पन्न कराने के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होता है तथा त्वरण की दिशा वही होती है तृतीय नियम= प्रतिक्रिया के समान तथा विपरीत

परमाणु का अणु गति सिद्धांत

1 प्रत्येक पदार्थों से मिलकर बना है जो सदैव गतिशील रहते हैं 2 अणुओं की गति अन्य मित्र होती है अर्थात उनकी चाल व दिशा बदलती रहती है 3 ऑडियो के बीच खाली स्थान होता है जिसे अंतरा आणविक स्थान कहते हैं 4 आडू एक दूसरे पर बल लगाते हैं जिससे अंतर आणविक बल कहते हैं यह बल इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन के आवेश के कारण होता है 5 जब अणुओं के बीच की दूरी अधिक होती है तब अंतर आणविक बल आकर्षण बल होता है जैसे-जैसे दो और वह के बीच की दूरी कम होती जाती है आकर्षण बल का मान बढ़ता जाता है एक स्थिति में इस का मान अधिकतम हो जाता है दूरी और कम होने पर आकर्षण बल घटने लगता है और एक स्थिति यह आ जाती है कि मान 0  हो जाता है

दब

किसी दल के एक इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले नंबर वन को काम करते हैं

आघूर्ण

किसी बल का किसी बिंदु के परित आघूर्ण पल के परिमाण तथा बिंदु से बल तक की लंबी दूरी के गुणनफल के बराबर होता है

ऊर्जा संरक्षण का नियम

ऊर्जा  न तो उत्पन्न की जा सकती है और ना ही नष्ट की जा सकती है उर्जा का केवल एक रूप में दूसरे रूप में रूपांतरण होता है अतः उर्जा को परिमाण हमेशा स्थिर रहता है यही ऊर्जा का संरक्षण का नियम है

स्थितिज ऊर्जा

जो ऊर्जा वस्तु में उसकी स्थिति के कारण होती है उसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं पृथ्वी की स्थिति को मानक स्थित माना गया है अतः पृथ्वी तल पर वस्तु की स्थितिज ऊर्जा सोनी मानी गई है

ऊर्जा

 कार्य करने की क्षमता को कार्य कहते हैं यह दो प्रकार की होती है 1 गतिज ऊर्जा 2 स्थितिज ऊर्जा

सामर्थ्य

 कर्ता द्वारा प्रति सेकंड किए गए कार्य को सामर्थ्य कहते हैं अथवा सामर्थ्य कार्य करने की दर होती है अतः सामर्थ = किया गया कार्य/ समय सामर्थ्य का मात्रक pहोता है अतःp=W/t इसका मात्रक जूल प्रति सेकंड होता है जिसे वाट भी कहते हैं 1 वाट=1 जूल प्रति सेकंड

कार्य

 किसी वस्तु पर करता द्वारा किया गया कार्य वस्तु पर लगाए गए बल तथा वस्तु में बल की दिशा में उत्पन्न विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है अतः कार्य= बल• बल की दिशा में विस्थापन W=F•s

बल

बल वह कारण है जो कि पिंड की अवस्था में परिवर्तन करता है या परिवर्तन का प्रयास करता है 

अदिश राशि

जीन राशियों में केवल परिणाम होता है दिशा नहीं होती उन्हें अदिश राशि कहते हैं जैसे =द्रव्यमान ,दूरी, क्षेत्रफल, आयतन, कार्य, सामर्थ्य 

विमीय सूत्र

वह पद जो यह प्रदर्शित करता है कि विभिन्न मात्रक को बनाने के लिए कौन सी मूल राशियों के मात्रक रिक्त किए गए हैं और कौन सी घाटी किस काम में प्रयुक्त है इसे भौतिक राशि का विमीय सूत्र कहते हैं उदाहरण के लिए बल का विमीय सूत्र[MLT_2] है

भौतिक राशि

वह राशि जो एक संख्या द्वारा व्यक्त की जा सके एवं उसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में मापा जा सके राशिफल आती है

पारसेक

 एक पारसेक वह दूरी है जहां से एक खगोलीय मात्रक लंबाई का जाप किसी बिंदु पर 1 सेकंड का कोण अंतरित करता है

मात्रक

 किसी भौतिक राशि को मापने के लिए उस राशि के एक निश्चित परिमाण को मानक मान लिया जाता है और इसे कोई नाम दे दिया जाता है किसी मानव को उस भौतिक राशि का मात्रक कहते हैं

भौतिक राशि

 वे सभी राशियां जो एक संख्या द्वारा व्यक्त की जा सके तथा उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में मापा जा सके भौतिक राशियां काल आती है उदाहरण के लिए = द्रव्यमान  ,लंबाई , विद्युत धारा आदि

Comparative degree

यह विशेषण कि वह अवस्था होती है जिसमें व्यक्ति वस्तु स्थान की तुलनात्मक विशेषता की जाती है 1 नियम= कुछ विशेषण के अंत में ER  लगाकर तुलनात्मक विशेषण बनाते हैं Old =older Hard= harder 2 नियम= यदि किसी  विशेषण का अंतिम अक्षर इसे समाप्त हो तो तुलनात्मक अवस्था बनाते समय r   लगाकर तुलनात्मक अवस्था बनाते हैं Brave= braver Wise= wiser 3 नियम= यदि किसी विशेषण के अंतिम अक्षर से पहले कोई स्वर आए तो तुलनात्मक अवस्था बनाते समय अंतिम अक्षर को दो बार लिखते हैं तथा er जोड़कर तुलनात्मक अवस्था बनाते हैं Big=Bigger Red=Redder 4 नियम= यदि स्वर की संख्या 2 हो तो अवस्था बनाते समय अंतिम अक्षर को दो बार नहीं लिखते हैं 5= यदि किसी अवस्था के अंत में Yआए परंतु Yसे पहले स्वर्ण न हो तो तुलनात्मक अवस्था बनाते समयY के स्थान पर I लिखते हैं तथा er जोड़कर तुलनात्मक अवस्था बनाते हैं Heavy=Heavier Lazy=Lazier 6 नियम= कुछ विशेषण ऐसे होते हैं जिनके अंत में er नहीं जोड़ते हैं जबकि ऐसे विशेषण के ठीक पहले more लगाकर तुलनात्मक अवस्था बनाते हैं Beautiful =morebeatiful Much =moremuch 7 नियम= कु

Adjective of quality

गुणवाचक विशेषण व़ह विशेषण होता है जो वाक्य में प्रयुक्त होकर किसी व्यक्ति वस्तु स्थान की विशेषता बतलाता  जैसे1 राम एक अच्छा लड़का है 2 सीता एक अच्छी लड़की है अंग्रेजी में विशेषण की तीन अवस्थाएं होती है 1 positive degree 2 comparative degree 3 superlative degree

Syntax of adjective

An adjective is a word which qualifies a noun or pronoun There are 10 types of adjective 1 adjective of quality 2 adjective of quantity 3 adjective of number 4 proper adjective 5 distributive adjective 6 demonstrative adjective 7 interrogative adjective 8 empathic adjective 9 exclamatory adjective 10 possessive adjective